राजस्थान के प्रमुख वन्य जीव अभ्यारण
तालछापर वन्य जीव अभ्यारण – इन वन्य जीव अभ्यारण का प्राचीन नाम द्रोणपुर था इन अभ्यारण में काले हिरण बाघ कुरजा पक्षी रहते हैं इस कारण इसे शरण स्थली माना जाता है। इस अभ्यारण में नर्मदा मोतिया व मोतिया साइप्रस उड़ती है।
गजनेर वन्य जीव अभ्यारण – यह अभ्यारण बर्ड बर्ड पक्षी तथा जंगली सूअर के लिए प्रसिद्ध है यह अभ्यारण बीकानेर में स्थित है यह एक महत्वपूर्ण अभ्यारण है।
नाहरगढ़ वन्य जीव अभ्यारण – इस अभ्यारण में भारत का दूसरा बायोलॉजिकल पार्क आदश का तीसरा बीयर रेस्क्यू सेंटर स्थित है। यह अभ्यारण राजस्थान के जयपुर में स्थित है।
बिसलपुर वन्य जीव अभ्यारण – यह अभ्यारण टोंक में स्थित है। यह टोंक की टोडारायसिंह तहसील के राजमल गांव में है यह अभ्यारण राजस्थान का नवीनतम अभ्यारण है कि से वसुंधरा सरकार ने 2006 में अभयारण्य घोषित किया गया।
जवाहर सागर वन्यजीव अभयारण्य – यह एक जलीय अभयारण्य है जो उत्तरी भारत का प्रथम सर्प उद्यान है इसमें सर्वाधिक मगरमच्छ पाए जाते हैं यह अभयारण्य कोटा में स्थित है।
भैस रोड गढ़ वन्यजीव अभयारण्य- यह अभ्यारण चित्तौड़गढ़ के रावतभाटा में स्थित है तथा यह अभयारण्य चित्तौड़गढ़ के राणा प्रताप सागर बांध पर स्थित है इस अभ्यारण में चंबल तथा बामणी नदी का संगम होता है।
दर्रा जीव अभयरण्य – यह अभयारण्य कोटा के झालावाड़ में स्थित है जिस्म का 2003 में दर्रा के नाम बदलकर राजीव गांधी नेशनल पार्क रखा गया तथा 2006 में वसुंधरा सरकार ने इसका नाम मुकुंदरा पार्क तक आ गया किस अभ्यारण में गागरोन ई हीरामणि तोता अमरमणि का महल गुप्तकालीन गुणों का शिव मंदिर स्थित है इस अभ्यारण में सर्वाधिक घड़ियाल तथा सारस पाए जाते हैं।
सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण – यह अभयारण्य अलवर में स्थित है यह अभ्यारण राजस्थान में दूसरी बार परियोजना 1978 में शुरुआत की गई यहां पर सर्वाधिक लंगूर बंदर और एक कबूतर पाए जाते हैं यहां पर ब्यूरो का घनत्व सर्वाधिक है इस अभयारण्य में पांडुपोल हनुमान जी का मंदिर नीलकंठ महादेव भर्तहरि ताल वृक्ष आदि दर्शनीय स्थल स्थित है इस अभ्यारण मैं 2005 में बाघ शिकार प्रकरण हेतु चर्चा में रहा था।
सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य – यह अभ्यारण राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में स्थित है इस अभ्यारण में सर्वाधिक जैव विविधता पाई जाती है इस अभ्यारण में सागवान के वृक्ष उड़न गिलहरी आदि देखने को मिलती है इस अभ्यारण में सीता माता मंदिर व लव कुश नामक दो जल स्त्रोत पाए जाते हैं इस अभ्यारण में अरावली बा विद्यांचल पर्वत माला तथा मालवा के पठार के संगम स्थल पर यह अभ्यारण स्थित है।
फुलवारी की नाल वन्यजीव अभयारण्य देश का प्रथम सुमन एनाटॉमिक पार्क स्थित है यहीं से मानसी पाकर नदी का उद्गम वह सोम नदी प्रवाहित होता है।
माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य – राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित है यह राज्य का एकमात्र पहाड़ी पर स्थित अभयारण्य है जो जंगली मुर्गा तथा भालुओ के लिए प्रसिद्ध है।
कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य अभ्यारण – राजस्थान के पाली राजसमंद तथा उदयपुर जिले में स्थित है यह अभ्यारण राजस्थान का एकमात्र अभ्यारण है जहां से प्रदेश की दो अलग-अलग दिशाओं में बहने वाली बनारस तथा साबरमती नदियों का उद्गम होता है यह नदियां अपना जल देश की दो अलग-अलग शहरों में गिरती है यह अभ्यारण जंगली दूसर मुर्गी चंदन के वृक्ष कुंभलगढ़ दुर्ग रणकपुर के मंदिर तथा परशुराम महादेव के मंदिर हेतु प्रसिद्ध है।
राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्य जीव अभ्यारण – इस अभियान को कड़ियाला की प्रजाति को संरक्षित करने के लिए घड़ियाल ओं का संसार के नाम से जाना जाता है यह राज्य का एकमात्र चलिए अभयारण्य है जो अंतर राज्य अभ्यारण राजस्थान मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में फैला हुआ है यह राजस्थान के करौली धौलपुर सवाई माधोपुर की सीमा पर का कोटा में फैला हुआ है।