NCERT Class 10th Science Notes Chapter-1

रासायनिक अभिक्रिया तथा समीकरण

वे पदार्थ जिसमे रासायनिक अभिक्रिया के द्वारा रासायनिक परिवर्तन होता है उसे अभिकारक कहते हैं अभिक्रिया के दौरान बनने वाले नए पदार्थ को उत्पात कहते है।

शब्द समीकरण में अभी कारकों के उत्पाद में परिवर्तन को उनके मध्य एक तीर के निशान लगाकर दर्शाया जाता है तथा तीर का सिरा उत्पाद की ओर इंगित करता है और अभिक्रिया होने की दिशा को दर्शाता है।

विस्थापन अभिक्रिया में आईनों क आदान-प्रदान होता है

शब्दों की जगह रासायनिक सूत्र का उपयोग करके रासायनिक समीकरण को  उपयोगी बनाया जा सकता है।

प्रत्येक तत्व के परमाणु की संख्या तीर के दोनों और समान होते हैं और संतुलित रासायनिक अभिक्रिया को कंकाली समीकरण कहा जाता है धर्मा संरक्षण नियम को संतुष्ट करने के लिए रासायनिक समीकरण को संतुलित किया जाता है

द्रव्यमान संरक्षण का नियम किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान का ना तो सर्जन होता है तथा नाही विनाश होता है किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में उत्पाद तत्वों का कुल द्रव्यमान अभिकारक तत्वों के कुल द्रव्यमान के बराबर होता है।

रासायनिक अभिक्रिया के बाद और रासायनिक अभिक्रिया के पहले प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या समान रहती है।

संयोजन अभिक्रिया, वियोजन अभिक्रिया, विस्थापन अभिक्रिया, विस्थापन अभिक्रिया, उपचयन और अपचयन यह सभी रासायनिक अभिक्रिया के प्रकार होते हैं।

संक्षारण और विकृत अपचयन अभिक्रिया के प्रभाव के कारण होते हैं।

एक संपूर्ण रासायनिक अभिक्रिया अभिकारक उत्पाद और उनके भौतिक दशाओं के संकेतों में दर्शाता है संयोजन अभिक्रिया में दो या दो से अधिक पदार्थ मिलकर एक उत्पाद बनाते हैं ।

किस अभिक्रिया में ऊर्जा का अवशोषण होता है वह उस्मा स्वस्ति अभी जया कहलाती है।

वह अभिक्रिया जिसमे 2 दिन अनुवाद तथा अणुओं के समूह के बीच आई नो का आदान-प्रदान होता है तथा अभिक्रिया में पदार्थों से ऑक्सीजन या हाइड्रोजन का योग तथा विनाश होता है।

ऑक्सीजन का योग अथवा हाइड्रोजन का विनाश ऑक्सीकरण या उपचयन कहलाता है।

ऑक्सीजन का फास्ट तथा हाइड्रोजन का योग अपचयन कहलाता है|

द्रव्यमान संरक्षण का नियम – इस नियम के अनुसार रासायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान का नाथू निर्माण की जाता है तथा ना ही विनाश उत्पाद तत्वों का कुल द्रव्यमान अभिकारक तत्वों के कुल द्रव्यमान के बराबर होता है|

संयोजन अभिक्रिया –  दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एक उत्पाद का निर्माण करते हैं वह संयोजन अभिक्रिया कहलाती है।

ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया -किया जिसमें उत्पाद के निर्माण के साथ-साथ उस्मा भी उत्पन्न होती है सुषमा का उत्सर्जन होता है वह ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया कहलाती है।

वियोजन अभिक्रिया-  ऐसी अभिक्रिया जिसमे अभिकर्मक टूटकर छोटे-छोटे उत्पाद का निर्माण करते हैं वियोजन अभिक्रिया कहलाती है।

ऊष्माशोषी अभिक्रिया- वह अभिक्रिया जिसमे उस्मा का उपयोग अर्थात उष्मा का अवशोषण होता है वह ऊष्माशोषी अभिक्रिया कहलाती है।

विस्थापन अभिक्रिया- ऐसी अभिक्रिया जिसमे एक तत्व दूसरे तत्वों को विस्थापित कर देता है वह विस्थापन अभिक्रिया कहलाती है।

 

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *