सिंधु घाटी सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता मानी जाती है जो नगरी स्वरूप में थी।
सिंधु घाटी सभ्यता में मिश्रा मेसोपोटामिया जैसी विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं के समकालीन थे इस अभी तक कि दयाराम साहनी द्वारा की गई थी सिंधु घाटी सभ्यता में सर्वप्रथम हड़प्पा नामक स्थल की खोज की गई अतः सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है
हड़प्पा के पश्चात 1922 में रखा दास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो की खोज की क्षेत्रफल की दृष्टि से सिंधु घाटी सभ्यता बहुत विस्तृत थी
बलूचिस्तान उत्तरी पश्चिमी सीमांत सिंधु का मैदान पश्चिमी पंजाब राजस्थान हरियाणा पूरी पंजाब गंगा यमुना दोहा जम्मू गुजरात एवं उत्तरी अफगानिस्तान आदि क्षेत्र सिंधु घाटी सभ्यता में खोजे जा चुके हैं सभ्यता का रूप से अधिक विकसित स्टॉल वीरा था सिंधु सभ्यता का सबसे अंत में खोजा गया स्तर बनवा ली है
सिंधु सभ्यता का स्तर सूत का को नदी के किनारे एवं वालाकोर्ट बिदार नदी के मुहाने पर स्थित है
सिंधु सभ्यता का स्टैंड गुमला गोमल नदी की घाटी में स्थित है सिंधु सभ्यता से जुड़े मोहनजोदड़ो एवं आमली नामक स्थल सिंधु नदी के किनारे पर स्थित है
सिंधु सभ्यता का स्तर बहावलपुर विलुप्त नदी सरस्वती के किनारे पर स्थित है।
सिंधु सभ्यता की लिपि सिंधु सभ्यता की लिपि जो अभी तक स्पष्ट नहीं पढ़ी जा सकती है कुछ विद्वानों ने इसे द्रविड़ भाषा से संबंधित बताया है।
सिंधु घाटी सभ्यता की नगर योजना
नगर निर्माण योजना के दृष्टिकोण से सिंधु सभ्यता अपने समकालीन विश्व की सभ्यताओं में श्रेष्ठ है
मोहनजोदड़ो गढ़वाली वाला हड़प्पा धोलावीरा राखीगढ़ी कालीबंगा एवं उत्तर आदि बड़े नगरों की संज्ञा दी जाती है
सड़के बलिया अत्यंतिक सुव्यवस्थित सड़कें एक दूसरे समकोण कोण पर काटती है।
दुर्ग नगर के पश्चिमी ठेले पर बनाई गई सुरक्षा प्राचीन दुर्ग का मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर दक्षिण में होता है
मोहनजोदड़ो को काटो और संभवत सिंधु सभ्यता की सबसे बड़ी भवन संरचना है यह क्वार्टर संभवत राजकीय अन्य भंडार है सभा भवन दुर्ग के दक्षिण में स्थित यह भवन था जो संभवत इसका उपयोग धार्मिक सभाओं में किया जाता है।
बंदरगाह सिंधु सभ्यता के निवासी व्यापार के लिए जन्मारा का प्रयोग करते थे सिंधु सभ्यता के समाज का स्वरूप मातृसत्तात्मक था
सिंधु सभ्यता का वर्गीकरण पैसे के अनुसार था प्रथम व्यापारी द्वितीय विज्ञान तृतीय श्रमिक चतुर्थ सैनिक एवं शुद्धि दोनों प्रकार के वस्त्रों का प्रचलन था वस्त्रों में उत्तरीय की सालवा अधोवस्त्र प्रमुख थे मोहनजोदड़ो का उत्खनन से प्राप्त मात्र देवी हिंदू समाज में स्त्रियों की सम्मानजनक स्थिति का प्रमाण था
सिंधु सभ्यता में प्रशासन संभवत वणिक वर्ग द्वारा संचालित किया जाता है
सिंधु सभ्यता के उत्तरी क्षेत्र की राजस्थानी हड़प्पा थी और दक्षिण क्षेत्र की राजस्थानी मोहनजोदड़ो थी हड़प्पा मोहनजोदड़ो को एक विस्तृत साम्राज्य की जुड़वा राजस्थानी कहने वाले विद्यार्थी गए थे
सिंधु सभ्यता निवासी मिट्टी के बर्तन निर्माण मुहर्रम के निर्माण मूर्ति निर्माण का कार्य माता का ताबीज निर्माण तथा उनके के निर्माण के प्रवीण थे मोहनजोदड़ो से एक पुजारी का सिर एवं की मूर्ति प्राप्त हुई थी सभ्यता में घरों के दरवाजे खिड़कियां पिछवाड़े की तिथि आगे की ओर खुलती थी।
मोहनजोदड़ो लोथल बा कालीबंगा से मिले राजमुद्रा से संकेत मिलता है कि निर्यात होने वाली वस्तुओं पर मुहर लगाया जाता है।
कालीबंगा का अर्थ होता है काले रंग की चूड़ियां कालीबंगा हनुमानगढ़ से जूते खेत के प्रमाण मिले हैं लोथल के बंदरगाह से पश्चिमी एशिया के साथ व्यापार होता है सिंधु निवासियों का विदेश व्यापार मुख्यतः ईरान सुमेर बलूच तथा मेसोपोटामिया बेबिलोना मिश्र से होता है शिवा मेसोपोटामिया के बीच तेल मन एवं मकान नामक पुस्तक के विनिमय के लिए दो अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल थे।