प्रकाश (Light) | RBSE NCERT Physics Notes

                    प्रकाश (Light)

  • एक प्रकार की ऊर्जा है जो विद्युत चुंबकीय तरंगों के रूप में संचारित होती है इसका ज्ञान हमें आंखो द्वारा प्राप्त होता है।
  • प्रकाश का विद्युत चुंबकीय तरंग सिद्धांत प्रकाश के केवल कुछ गुणों की व्याख्या करता है जैसे प्रकाश का परावर्तन प्रकाश का अपवर्तन प्रकाश का सीधी रेखा में गमन प्रकाश का विवर्तन प्रकाश का व्यतिकरण तथा प्रकाश का ध्रुवण आदि।
  • प्रकाश विद्युत चुंबकीय तरंगे अनुप्रस्थ होती है अतः प्रकाश की अनुप्रस्थ तरंगे होती है।
  • प्रकाश के कुछ गुण ऐसे हैं जिनकी व्याख्या तरंग सिद्धांत से नहीं हो पाती है ऐसे प्रकाश विद्युत प्रभाव तथा कॉम्पटन सिद्धांत।
  • प्रकाश का फोटो सिद्धांत सिद्धांत के अनुसार प्रकाश ऊर्जा के छोटे-छोटे मंडलों के रूप में चलता है जिसे फोटो ऑन कहा जाता है।
  • प्रकाश के वेग की करना सबसे पहले रोमर के द्वारा की गई थी।
  • वायु तथा निर्वात में प्रकाश की चाल सबसे अधिक होती है।
  • प्रकाश को सूर्य से पृथ्वी तक आने में औसतन 8 मिनट का समय लगता है।
  • चंद्रमा से परावर्तित प्रकाश को पृथ्वी तक आने में 1.28 सेकंड का समय लगता है।

प्रकाश के प्रति व्यवहार के आधार पर वस्तुओं को निम्न भागों में बांटा गया है।

1. प्रदीप्त वस्तुएं वह वस्तु है जो स्वयं के प्रकाश से प्रकाशित होती है वह प्रत्येक वस्तु है कहलाती है जैसे सूर्य विद्युत बल्ब आदि।

2. आप्रदीप वस्तु वस्तु है जिनका अपना स्वयं का प्रकाश नहीं होते हैं लेकिन उन पर प्रकाश डालने पर वह दिखाई देते लगती है जैसे कुर्सी।

3. पारदर्शक वस्तुएं वस्तुएं जिनमें से होकर प्रकाश की किरण निकल जाती है जैसे कार्य तथा जल

प्रकाश का विवर्तन प्रकाश को अवरोध के किनारे पर थोड़ा मुड़कर उसकी छाया में प्रवेश करने की घटना को विवर्तन कहा जाता है।

प्रकाश का प्रकीर्णन प्रकाश किसी ऐसे माध्यम में गुजरता है जिसमें इसमें धूल तथा अन्य पदार्थों के सूक्ष्म कण होते हैं तो इनके द्वारा प्रकाश दिशा में प्रसारित होता है इस घटना को प्रकाश का प्रकीर्णन कहलाता है बैगनी रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है तथा लाल रंग का प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे कम होता है।

प्रकाश का परावर्तन प्रकाश के चिकने प्रश्न से टकराकर वापस लौटने की घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं परावर्तन के दो नियम हैं आपतित किरण आपतित बिंदु पर अभिलंब व परावर्तित किरण एक ही तल में होती है

आपतन कोण परावर्तन कोण के बराबर होता है।

समतल दर्पण से परावर्तन

  • समतल दर्पण किसी वस्तु का प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है जितनी दूरी पर वस्तु दर्पण के सामने रखी होती है यह प्रतिबिंब काल्पनिक वस्तु के बराबर तथा  उल्टा होता है।
  • यदि कोई व्यक्ति की चाल v से दर्पण की ओर चलता है तो उसे दर्पण में अपना प्रतिबिंब 2v विचार से अपनी ओर आता हुआ प्रतीत होता है।
  • यदि आपतित किरण को नियत रखते हुए दर्पण को डाटा कौन से घुमा दिया जाए तो परावर्तित किरण टू थीटा से घूम जाती है।
  • समतल दर्पण में वस्तु का पूर्ण प्रतिबिंब देखने के लिए दर्पण की लंबाई वस्तु की लंबाई की कम से कम आदि होने चाहिए।

गोलीय दर्पण से परावर्तन गोलीय दर्पण से परावर्तन दो प्रकार का होता है एक अवतल दर्पण दूसरा उत्तल दर्पण

अवतल दर्पण का उपयोग की फोकस दूरी वाले अवतल दर्पण दाढ़ी बनाने में काम आता है आंख कान नाक के डॉक्टर के द्वारा उपयोग में लाया जाने वाला दर्पण गाड़ी के हेडलाइट सर्च लाइट में सोलर कुकर में

प्रकाश का अपवर्तन जब प्रकाश की किरण है एक पारदर्शी माध्यम से दूर से पारदर्शी माध्यम में प्रवेश करती है तो दोनों दिशाओं को अलग करने वाले तल पर अभी लंबवत आपत्ति होने पर बिना मुड़े सीधे निकल जाती हैं परंतु तिरछी आपत्ति होने पर वह अपने मुंह दिशा में विचलित हो जाती है इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहा जाता है जब प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है तो वह दोनों माध्यमों के पृष्ठ पर खींचे गए अभिलंब की ओर झुक जाती है तथा जब किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है तो वह हमसे दूर हट जाती है लेकिन जो किरणें अभी के समांतर प्रवेश करती है उनके पद में कोई परिवर्तन नहीं होता है।

प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन

क्रांतिक कोण क्रांतिक कोण सघन माध्यम में बनावे आपतन कोण होता है जिसके लिए विरल माध्यम में अपवर्तन कोण का मान 90 डिग्री होता है।

आपतन कोण का मान क्रांति कौन से थोड़ा अधिक कर दे तो प्रकाश विरल माध्यम में बिल्कुल ही नहीं जाता है बल्कि संपूर्ण प्रकाश परावर्तित होकर सघन माध्यम में ही लौट जाता है इस घटना को प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहा जाता है इसमें प्रकाश का अपवर्तन बिल्कुल ही नहीं होता है संपूर्ण आपतित प्रकाश परिवर्तित हो जाता है किसी पृष्ठ के किस भाग में पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है वह चमकने लगता है।

पूर्ण आंतरिक परावर्तन के उदाहरण

  • हीरे का चमकना
  • रेगिस्तान में मरीचिका का बनना
  • जल में पड़ी परखनली का चमकना
  • काच में आई दरार का चमकना

प्रकाशिक तंतु प्रकाश रेखा में गमन करता है लेकिन पूर्ण आंतरिक परावर्तन का उपयोग करके प्रकाश को एक बकरी मार्ग में चलाया जा सकता है प्रकाशिक तंतु पूर्ण आंतरिक परावर्तन के सिद्धांत पर आधारित एक ऐसी युक्ति है जिसके द्वारा प्रकाश सिग्नल को इसकी तीव्रता में बिना से के एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है चाहे मार्ग कितना भी टेढ़ा हो।

प्रकाशिक तंतु का उपयोग प्रकाश सिग्नल के दूरसंचार में विद्युत सिग्नल को प्रकाश सिग्नल में बदलकर प्रेषित करने में तथा अभी ग्रहण करने में मनुष्य के शरीर के आंतरिक भागों का परिरक्षण करने में शरीर के अंदर लेसर किरणों को भेजने में।

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