किसान आंदोलन
बिजोलिया किसान आंदोलन
- बिजोलिया ठिकाने की स्थापना राणा सांगा के समय अशोक परमार द्वारा की गई थी यहां पर राजस्थान का प्रथम संगठित किसान आंदोलन प्रारंभ हुआ था जिसके कारण जागीरदार द्वारा अधिक लागबाग वसूलना था।
- 1897 ईस्वी में ऊपर माल के लोगों ने महाराणा मेवाड़ फतेह सिंह से जागीरदार के जुल्मों के विरुद्ध शिकायत करने हेतु नानाजी वाह ठाकुर पटेल को भेजा लेकिन महाराणा ने इस पर ध्यान नहीं दिया और बिजोलिया के तत्कालीन ठाकुर रामकृष्ण सिंह ने नानाजी व ठकरी पटेल को निर्वाचित किया गया।
- कृष्ण सह के पुत्र राव प्रति सिंह द्वारा तलवार बंधाई का लालबाग लागू करने पर साधु सीताराम दास प्रकरण चारण ब्रह्मदेव के नेतृत्व में किसानों ने भूमि को पत्रकार विरोध करते हुए कोई कर नहीं दिया गया।
- 1916 ईस्वी में साधु सीताराम दास के आग्रह पर विजय सिंह इस आंदोलन से जुड़े और ऊपर माल किसान पंच बोर्ड नाम आंदोलन की स्थापना की।
- किसानों की मांगों के वित्तीय जांच करने हेतु बिंदु लाल पटना चार्य जांच आयोग की रिपोर्ट मैं लालबाग को समाप्त करने की घोषणा की।
- कानपुर से प्रकाशित प्रताप समाचार पत्र के माध्यम से अखिल भारतीय स्तर पर इस आंदोलन को उजागर किया गया। विजय सिंह पथिक के इस आंदोलन से अलग होने पर इसका नेतृत्व जमुनालाल बजाज व हरीभाऊ उपाध्याय ने संभाला।
- जमुना लाल बजाज व मेवाड़ के प्रधानमंत्री सुखदेव प्रसाद के मध्य एक समझौता हुआ लेकिन उसका ईमानदारी से पालना नहीं की गई।
- मेवाड़ के प्रधानमंत्री राघवाचार्य ने राजस्व विभाग के मंत्री डॉ मोहन सिंह मेहता को बिजोलिया भेजकर किसानों की मांगें मानकर जमीने वापस कर दी इसके बाद बिजोलिया आंदोलन समाप्त हो गया।
बेगू किसान आंदोलन
- चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित बेगू टिकाने के किसानों ने अपने जागीरदार के विरुद्ध आंदोलन शुरू किया जिसका नेतृत्व रामनारायण चौधरी ने किया।
- मई 1921 में बेगू टिकाने के कर्मचारियों ने चांदखेड़ी नामक स्थान पर सभा में किसानों पर अमानुष एक व्यवहार किया 2 वर्षों के संघर्ष के पश्चात बेगू ठाकुर अनूप सिंह किसानों के मध्य समझौता हुआ लेकिन इसे बोल्शेविक की संज्ञा दी गई सरकार ने जांच हेतु ट्रेन आयोग का गठन किया गया।
- किसानों की सपा पर सेना द्वारा लाठीचार्ज करने पर रूपा जीवा कृपा जी धाकड़ शहीद हो गए
- अलवर किसान आंदोलन अलवर रियासत में किसानों की खड़ी फसलों में सूअरों द्वारा नुकसान पहुंचाने पर भी उन्हें मारने पर प्रतिबंध किया था।
- इस समस्या के विरोध में किसानों ने आंदोलन शुरू किया इसके फलस्वरूप सूअर को मारने की अनुमति दे दी गई।
बूंदी किसान आंदोलन
- लागबाग बेगार प्रथा वाह लगान की ऊंची दरों के विरोध में बूंदी ने किसान आंदोलन प्रारंभ किया।
- जिसका नेतृत्व पंडित नैनू राम शर्मा ने किया इस आंदोलन के दौरान डाबी नामक स्थान पर किसानों की सभा में झंडा गीत गाते हुए नानक बिलों की गोली से हत्या कर दी गई।
नींबू चना किसान आंदोलन
- नींबू चना किसान आंदोलन बढ़ी हुई लगान दलों के विरोध में 1925 को अलवर के नींबू चना नामक स्थान पर किसानों की सभा पर अंधाधुंध फायरिंग में सैकड़ों किसानों को मारा गया।
- गांधीजी ने दूसरा जलियांवाला बाग हत्याकांड की संज्ञा दी गई इस आंदोलन में किसानों की लगभग सभी मांगे हैं वह मानी गई।
- सिकरवार शेखावाटी किसान आंदोलन जयपुर रियासत में सीकर ठिकाने के ठाकुर कल्याण सिंह के द्वारा बढ़ी हुई दरों से लगान वसूलने पर राजस्थान क्षेत्रीय चार्ट सभा के तत्वाधान में पंधाना में जाट सम्मेलन आयोजित किया गया इसके बाद किसानों व चौकीदारों के मध्य समझौता का पालन ना करने पर इस मुद्दे को अखिल भारतीय स्तर पर तथा प्रश्न के माध्यम से हाउस ऑफ कॉमंस में उठाया गया फलस्वरूप जयपुर महाराजा के मध्यस्था में समझौता किया गया शेखावाटी आंदोलन आंदोलन का ही विस्तार था जिसमें झुंझुनूं व चूरू क्षेत्र के किसानों द्वारा विभिन्न स्थानों पर सामंत एवं ठाकुरों के शोषण के विरुद्ध आवाज उठाई गई।
मारवाड़ किसान आंदोलन
- मारवाड़ हितकारिणी सभा ने जय नारायण व्यास के नेतृत्व में माधव पशुओं के राज्य से बाहर भेजने के मुद्दे पर आंदोलन शुरू किया गया।
- जिसके पक्ष रूप वादा पशुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया मारवाड़ हितकारिणी सभा ने उस समय प्रचलित 136 प्रकार की लागे वह बेकार पढ़ता से किसानों को मुक्ति दिलाने हेतु पुनः आंदोलन चला गया।