मध्यकालीन भारतीय इतिहास 1206 से 1707 ई. तक । Indian History Notes in Hindi

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दिल्ली सल्तनत

गुलाम वंश

गुलाम वंश का संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक था।

इसकी राजधानी लाहौर थी तथा राजधानी दिल्ली से स्थानांतरित की थी अतः दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक इल्तुतमिश को कहा जाता है।

कुतुबुद्दीन ऐबक के सेनापति बख्तियार खिलजी ने नालंदा व विक्रमादित्य विश्वविद्यालय को नष्ट किया था।

इल्तुतमिश ने तुर्कान-ए-चहलगानी (40 दल) का गठन किया था|

यह गुलामो का गुलाम कहलाता है।

बगदाद के खिलाफ से मान्यता प्राप्त करने वाला पहला सुल्तान था ।

इल्तुतमिश के इसके बाद इसकी बेटी रजिया सुल्तान बनी जो उत्तर भारत की एकमात्र हुआ पहली मुस्लिम महिला शाशक थी।

रजिया सुल्तान के पश्चात कई योग्य शासक पीस हुए अतः योग्यता का फायदा उठाकर गयासुद्दीन बलबन ने गद्दी हथिया ली।

बलबन

बलबन में लोह एवं रक्त की नीति अपनाई।

इतने चालीसा दल का दमन किया।

इतने ही पुरानी परंपराओं को दरबार में शुरू किया जैसे नवरोज मनाना तथा से सिजदा व पायबोस करना।

बलबन ने नियत-ए-खुदाई सिद्धांत पर शासन किया तथा जिल्ले-इलाही (ईश्वर का प्रतिबिंब)की उपाधि धारण की।

बलबन की मृत्यु 1286 के बाद हुई तथा कोई योग्य उत्तराधिकारी नहीं हुआ तथा गुलाम वंश का अंतिम शासक शमशुद्दीन क्युमर्स था।

खिलजी वंश

1290 में जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने शमशुद्दीन क्युमर्स को हराकर गुलाम वंश का अंत किया तथा नए वंश खिलजी वंश की स्थापना की।

हिंदू जनता के प्रति उदार दृष्टिकोण रखने वाला दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान था ।

जलालुद्दीन फिरोज खिलजी की हत्या उसके भतीजे व दामाद अलाउद्दीन खिलजी ने 1296 में में कड़ा नामक स्थान पर कि वह नया सुल्तान बना।

 

अलाउद्दीन खिलजी 

 

दिल्ली का वह सुल्तान जिसने मगलों को भारत में प्रवेश करने से रोका।

इसके साम्राज्य विस्तार वादी नीति अपनाई एवं आसपास की राज्य पर आक्रमण कर अपने अधीन किया।

अलाउद्दीन खिलजी ने उत्तर भारत में रणथंबोर, चित्तौड़गढ़, जालौर, मालवा , चंदेरी आदि को जीता।

अलाउद्दीन खिलजी  को दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान था जिसने दक्षिण भारत में विजय पताका फहराया।

1320 में गाजी मालिक गयासुद्दीन तुगलक ने तुगलक वंश की स्थापना की।

 

फिरोजशाह तुगलक (1351-1388)

 

इसे सल्तनत काल का अकबर कहा जाता था।

यह धर्मांध शासक था जिसने ब्राह्मणों पर भी जजिया कर लगा दिया था।

भारत में पहली बार जजिया कर लगाने वाला शासक मोहम्मद बिन कासिम था।

इसने वंशवाद को बढ़ावा दिया जिसे प्रशासन में भ्रष्टाचार बढ़ गया।

इसने रोजगार कार्यालय गरीबों के लिए दान कार्यालय, सरकारी खर्च गरीबों को हज पर बेचने हेतु कार्यालय की व्यवस्था की थी ।

फिरोजशाह तुगलक के बाद तुगलक वंश बिखर गया हालांकि कई सालों तक तुगलक वंश का अंतिम शासक नसरुद्दीन मोहम्मद तुगलक का राज रहा था।

खिज्र खां

ख़िज़्र खां ने आपने आप को सुल्तान नहीं माना तथा इसने रैय्यत-ए-आल्लाह की उपाधि ली।

इस वंश का सबसे बड़ा शासक मुबारक का था जिसने यहयाा बिन सरहिंदी थे ।

मुबारक शाह ने अपने नाम के सिक्के भी चलवाये।तथा अपने नाम का खुतबा भी पढ़वाया।

सैयद वंश का अंतिम शासक अलाउद्दीन आलम शाह था इसने अपना शासन व अपने सेनापति बहलोल लोदी को सौंप दिया जिसने लोदी वंश की स्थापना की।

लोदी वंश (1451-1526)

बहलोल लोदी

सल्तनत काल में सर्वाधिक समय तक शासन करने वाला सुल्तान था।

इसने बहलाली सिक्के चलवाए जिससे अकबर के काल तक बाजार में उपलब्ध थे।

इसकी मृत्यु की बाद इसका बेटा सिकंदर लोदी के नाम से सुल्तान बना जो गुलरूखी नाम से कविताएं लिखता था।

मुग़ल काल

21 अप्रैल 1526 को हुए पानीपत के पहले युद्ध में काबुल के राजा जहीरूद्दीन बाबर ने लोदी वंश के अंतिम शासक इब्राहिम लोदी को पराजित किया तथा मुगल वंश की स्थापना की।

इब्राहिम लोदी सल्तनत काल का एकमात्र शासक था जो युद्ध स्थल में मारा गया ।

पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने युद्ध स्तर पर भारत में पहली बार तोपों का इस्तेमाल किया।

बाबर की मृत्यु 1530 में आगरा के आराम बाग में हुई परंतु इसे काबुल में दफनाया गया जहां इसका मकबरा स्थित है ।

अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण स्थित सेनापति मीर बाकी ने करवाया।

बाबर के पश्चात इसका बेटा हुमायूं बादशाह बना

हुमांयु

हुमायूं 1540 में शेरशाह सूरी से कन्नौज या बिलग्राम युद्ध में पराजित हुआ|

इसने एक बार के लिए भारत छोड़ना पड़ा। इस प्रकार 1540-1555 तक भारत पर सूरी वंश का शासक था।

1540 में भारत का बादशाह शेर शाह सुरी बना।

शेरशाह सुरी

शेरशाह सुरी ने बंगाल से दिल्ली पंजाब सुल्तान होते हुए काबुल तक सड़क का निर्माण कराया जिससे सड़क-ए-आजम कहा गया।

इसने ग्रांट टक रोड का निर्माण करवाया।

हुमायूं की मृत्यु 1556 में सीढ़ियों से लूटकर हुई तथा विद्वान लेनपुल ने कहा कि वह जीवन भर जुड़ता रहा हुआ लुढकते- लुढकते मर गया।

हुमायूं का मकबरा दिल्ली में स्थित है।

हुमायूं की बहन गुलबदन बानो बेगम ने हुमायूंनामा लिखी।

अकबर

 

अकबर ने राजपूत शासकों के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित किया तथा आमेर की राजा बिहारी मल व भारमल की पुत्री हरका बाई से विवाह किया जिसे मुगल दरबार में मरियम उज उज्ज्मनी के नाम से जाना जाता था।

1605 में अकबर की मृत्यु हो गई वह अगला बादशाह जहांगीर बना|

जहाँगीर (1605-1627)

इसके बेटे ने इसके राजा बनते ही बगावत शुरू कर दी थी। और सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव जी से आशीर्वाद ले लिया।

खुसरो को अंधा करवा कर जेल में डाल दिया तथा अर्जुन देव जी की हत्या करवा दी।

जहांगीर की मृत्यु राजौरी में हुई तथा लाहौर में दफनाया गया।

शाहजहां (1628-1658)

जहांगीर की मृत्यु के पश्चात कुछ समय तक द्वार वर्क शासक बना जिसे बलि का बकरा कहा जाता है| शाहजहां का वास्तविक नाम खुर्रम था जो 1628 में बादशाह बना|

दिल्ली के पास यमुना नदी के किनारे शाहजहांपुर नामक नगर बसाया और किला ए मुबारक लाल किले का निर्माण करवाया।

शाहजहां की बेटी जहांआरा थी जिसे आगरा में जामा मस्जिद का निर्माण करवाया।

औरंगजेब

औरंगजेब 1658 में बादशाह बना तथा इसने भी अपना दो बार राज्य पुस्तक करवाया|

औरंगजेब धर्मान्ध शासक था जिसने भारत में फिर से जजिया कर लगाया हालांकि सर्वाधिक हिंदू प्रशासन इसी के दरबार में थे इसने सिक्कों की 9वे गुरु तेग बहादुर जी की हत्या हत्या 1775 में करवा दी।

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